Mangal Dosh Shanti

ऋण मोचन मंगल स्तोत्र || मङ्गलो भूमिपुत्रश्च ऋणहर्ता धनप्रद: । स्थिरासनो महाकाय: सर्वकर्मावरोधक: ।१। लोहितो लोहिताक्षश्च सामगानां कृपाकरः । धरात्मजः कुजो भौमो भूतिदो भूमिनन्दनः |२| अङ्गारको यमश्चैव सर्वरोगापहारकः | व्रुष्टे कर्ताऽपहर्ता च सर्वकामफलप्रदः || ३||

मंगल ग्रह की उत्पत्ति का पौराणिक वृत्यांत

Bhagwan Shiv

मंगल ग्रह की उत्पत्ति का पौराणिक वृत्यांत स्कंद पुराण के अवंतिका खण्ड में आता है की एक समय उज्जयिनी पुरी में अंधक नाम से प्रसिद्ध दैत्य राज्य करता था | उसके महापराक्रमी पुत्र का नाम कनक दानव था | एक बार उस महाशक्तिशाली वीर ने युध्य के लिए इन्द्र को ललकारा तब इन्द्र ने क्रोधपूर्वक उसके साथ युध्य करके उसे मार गिराया |

उस दानव को मारकर वे अंधकासुर के भय से भगवान शंकर को ढूंढते हुए कैलाश पर्वत पर चले गये | वह देवताओं के स्वामी इन्द्र ने भगवान चंद्रशेखर के दर्शन करके अपनी अवस्था उन्हें बतायी और प्रार्थना की, भगवन ! मुझे अंधकासुर से अभय दीजिये | इन्द्र का वचन सुनकर शरणागत वत्सल शिव ने अभय देते हुए कहा - इन्द्र तुम अंधकासुर से भय न करो | इसके पश्च्यात भगवान शिव ने अंधकासुर को युद्ध के लिए ललकारा, युद्ध अत्यंत घमासान हुआ, और उस समय लड़ते - लड़ते भगवान शिव के मस्तक से पसीने की एक बूंद पृथ्वी पर गिरी, उससे अंगार के सामान लाल अंग वाले भूमिपुत्र मंगल उत्पन्न हुए | अंगारक , रक्ताक्ष तथा महादेव पुत्र, इन नामो से स्तुति कर ब्राह्मणों ने उन्हें ग्रहों के मध्य प्रतिष्ठित किया, तत्पश्चात उसी स्थान पर ब्रम्हाजी ने मंगलेश्वर नामक उत्तम शिवलिंग की स्थापना की | वर्तमान में यह स्थान मंगलनाथ मंदिर के नाम से प्रसिद्ध है, जो उज्जैन में स्थित है | मंगल देव जब बालक रूप में उत्पन्न हुए तब उनका तेज़ बहुत ज्यादा था, जिससे देवता एवं मनुष्य गण पीड़ित होने लगे, तब भगवान शिव ने उन्हें गोद में उठाया और उनसे बोले, हे बालक ! तुम मेरी ही राजस प्रकृति से उत्पन्न हुए हो, लोगो को त्रास मत दो, मै तुम्हे ग्रहों के सेनापति का पद प्रदान करता हूँ | तुम अवंतिका नगरी में निवास करो और लोगो का मंगल करो ! इस प्रकार मंगल ग्रह की उत्पत्ति स्थल उज्जैन ( अवंतिका ) माना जाता है | जो मनुष्य इस स्थान पर आकर मंगल देव का विधिवत पूजन दर्शन करता है, उसके मंगल दोष का शमन होता है |

मंगल ग्रह का जीवन पर प्रभाव

ज्योतिष में विश्वास किया जाता है कि मंगल ग्रह की स्थिति और दशा हमारे जीवन में कई पहलुओं पर असर डालती है, जैसे कि शारीरिक स्वास्थ्य, ऊर्जा स्तर, आत्मविश्वास, आदि। इसके अलावा, मंगल ग्रह का प्रभाव व्यक्ति के व्यवहार और प्रवृत्तियों पर भी पड़ता है। मंगलदोष पीड़ित व्यक्तियों को निम्नलिखित समस्याओं का सामना करना पड़ सकता है:

Mangal Dosh Nivaran
  1. पारिवारिक विवादों का बढ़ना
  2. संबंधों में तनाव
  3. शारीरिक समस्याएँ
  4. व्यापार में हानि
  5. नौकरी की असुरक्षा
  6. अकस्मात मृत्यु

ज्योतिष में यह माना जाता है कि आकाशीय स्थिति जीवन के विभिन्न पहलुओं पर प्रभाव डाल सकती है। मंगल ग्रह का प्रभाव व्यक्तियों को उनके ज्योतिषीय कुंडली और उनके जन्म के समय अन्य आकाशीय शरीरों की स्थिति पर आधारित होता है। अतः केवल सिद्ध ज्योतिष विशेषज्ञ से ही अपनी कुंडली बनवानी चाहिए, और यदि आपको किसी प्रकार की समस्या है तो केवल सिद्ध ज्योतिष ही उसका समाधान कर सकते हैं।

मंगल पूजा का महत्व

मंगल पूजा और अनुष्ठान का मुख्य उद्देश्य बाधाओं को हटाना है। इससे हमें विशेष जप द्वारा लाभ प्राप्त होता है। यह पूजा हमें हानिकारी बल से मुक्ति, सुख, शांति और समृद्धि प्राप्त करने में मदद करती है। इसके अलावा, यह हमारे नए उद्यमों की शुरुआत में सकारात्मकता बढ़ाने, घर, नौकरी और व्यवसाय में आनेवाली बाधाओं को दूर करने, त्वरित स्वास्थ्य लाभ प्राप्त करने और नेतृत्व कौशल में सुधार करने में सहायक होती है।

मंगल दोष निवारण का सरल एवं अचूक उपाय मंगल ग्रह का भात पूजन है | मंगल दोष युक्त जातक जिनके विवाह में बाधा आ रही हो उन्हें अवश्य मंगलनाथ मंदिर (उज्जैन) में भात पूजन करवाना चाहिये |

मंगल दोष शांति के मंत्र

  1. ॐ क्रां क्रीं क्रौं सः भौमाय नमः।
  2. मङ्गलो भूमिपुत्रश्च ऋणहर्ता धनप्रद: । स्थिरासनो महाकाय: सर्वकर्मावरोधक: ।।
  3. लोहितो लोहिताक्षश्च सामगानां कृपाकरः । धरात्मजः कुजो भौमो भूतिदो भूमिनन्दनः ||
  4. अङ्गारको यमश्चैव सर्वरोगापहारकः | व्रुष्टे कर्ताऽपहर्ता च सर्वकामफलप्रदः ||
  5. एतानि कुजनामनि नित्यं यः श्रद्धया पठेत् | ऋणं न जायते तस्य धनं शीघ्रमवाप्नुयात् ||
  6. धरणी गर्भसम्भूतं विद्युत्कान्ति-समप्रभम् | कुमारं शक्तिहस्तं च मङ्गलं प्रणमाम्यहम् ||
  7. स्तोत्रमङ्गारकस्यैतत्पठनीयं सदा नृभिः | न तेषां भौमजा पीडा स्वल्पाऽपि भवति क्वचित् ||
  8. अङ्गारक ! महाभाग ! भगवन्भक्तवत्सल | त्वां नमामि ममाशेषमृणमाशु विनाशयः ||
  9. ऋण रोगादि-दारिद्रयं ये चान्ये ह्यपमृत्यवः | भय-क्लेश-मनस्तापा नश्यन्तु मम सर्वदा ||
  10. अतिवक्र ! दुराराध्य ! भोगमुक्तों जितात्मनः | तुष्टो ददासि साम्राज्यं रुष्टो हरसि तत्क्षणात् ||
  11. विरिंचिशक्रविष्णूनां मनुष्याणां तु का कथा | तेन त्वां सर्वसत्त्वेन ग्रहराजो महाबलः ||
  12. पुत्रान देहि धनं देहि तवामस्मि शरणं गताः | ऋणदारिद्रय दुःखेन शत्रूणां च भयात्ततः ||
  13. एभिर्द्वादशभिः श्लोकैर्यः स्तौति च धरासुतम् | महतीं श्रियमाप्नोति ह्यपरो धनदो युवाः ||

Contact

पंडित विजय भारती
कृष्ण मूर्ति पद्धति और पारंपरिक ज्योतिष में विशेषज्ञ |

मंगलनाथ मंदिर परिसर, उज्जैन, Madhya Pradesh, India.
+91-9424845308,9826045308

Pandit Vijay Bharti

क्या आप मांगलिक है? मंगल दोष का निवारण उज्जैन स्थित मंगलनाथ मंदिर में पूजा पद्धति से किया जाता है। मंगल दोष निवारण, कुंडली निर्माण और विवाह हेतु कुंडली मिलान के लिए, आप ज्योतिषशास्त्र के पंडित, विजय भारती जी से संपर्क कर सकते हैं।


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