Har Siddhi Temple,Ujjain
हरसिद्धि मंदिर, उज्जैन को पवित्र शक्तिपीठो में से एक माना गया है | यह मंदिर मराठा शैली की निर्माण कला की सुन्दरता का उद्धरण है | हिन्दू धर्मग्रंथो में शक्तिपीठो के उद्गम का विवरण दिया गया है की, जब माता पार्वती ने अपने पिता द्वारा पति शिव के अपमान के विरोध में प्राण त्याग दिए, तब प्रभु शिव को गहरा अघात लगा | वे माता पार्वती के शरीर को अपनी भुजाओं में उठा कर चलने लगे | उनकी ये स्थति देख अन्य देवताओं ने माता के शरीर के कई भाग कर दिए | वे शरीर के कटे हुए भाग मृतुलोक में गिरे | जहा-जहा माता के शरीर के भाग गिरे, उन स्थानों को शक्तिपीठ माना गया | यह माना गया की इस स्थान पर माता की कोहनी गिरी थी | इस प्रकार यह स्थान भी शक्तिपीठ के रूप में माना गया |
About Ganesh
हरसिद्धि मंदिर माँ शक्ति को समर्पित है | यहाँ मान्यता है की यही वो स्थान है जहा माता सती की भुजाए गिरी थी | हरसिद्धि मंदिर अपनी सुन्दरता और शांतिपूर्ण वातावरण के लिए प्रसिद्द है | माँ शक्ति अर्थात माता पार्वती तथा उनके अवतारों को माना गया है | यह मंदिर माता लक्ष्मी तथा माता सरस्वती की पूजा अर्चना के लिए भी उत्तम माना गया है | इस मंदिर का निर्माण मराठा शाशन काल के दौरान हुआ | इस मंदिर में दो बड़े दीपस्तंभ भक्तो का स्वागत करते प्रतीत होते है | नवरात्रि उत्सव के दौरान इन दीपस्तंभों को प्रज्वलित कर सजाया जाता है जो अत्यंत मंगलकारी अनुभव प्रदान करता है |
Mahakaal
Ambe ma Aarti

ऊँ जय अम्बे गौरी, मैया जय श्यामा गौरी।तुमको निसदिन ध्यावत, हरि ब्रह्मा शिवरी।। ऊँ जय अम्बे गौरी.

माँग सिन्दूर विराजत, टीको मृग मद को।उज्ज्वल से दोउ नैना चन्द्रवदन नीको।। ऊँ जय अम्बे गौरी. 

कनक समान कलेवर, रक्ताम्बर राजै।रक्तपुष्प गलमाला, कण्ठन पर साजै।। ऊँ जय अम्बे गौरी. 

केहरि वाहन राजत, खड्ग खप्पर धारी।सुर-नर-मुनि-जन सेवत, तिनके दु:खहारी।। ऊँ जय अम्बे गौरी. 

कानन कुण्डल शोभित नासाग्रे मोती।कोटिक चन्द्र दिवाकर, राजत सम ज्योति।। ऊँ जय अम्बे गौरी. 

शम्भु निशम्भु विदारे, महिषासुर घाती ।धूम्र विलोचन नैना, निशदिन मदमाती ।। ऊँ जय अम्बे गौरी. 

चण्ड मुण्ड संहारे, शोणित बीज हरे।मधु कैटभ दोउ मारे, सुर भयहीन करे।। ऊँ जय अम्बे गौरी. 

ब्रह्माणी रुद्राणी, तुम कमला रानी।आगम निगम बखानी, तुम शिव पटरानी ।। ऊँ जय अम्बे गौरी. 

चौंसठ योगिनी गावत, नृत्य करत भैरव ।बाजत ताल मृदंगा और बाजत डमरू ।। ऊँ जय अम्बे गौरी. 

तुम हो जग की माता, तुम ही हो भर्ता ।भक्तन की दु:खहर्ता, सुख सम्पति कर्ता ।। ऊँ जय अम्बे गौरी. 

भुजा चार अति शोभित, वर मुद्रा धारी। मन वाँछित फल पावत, सेवत नर नारी ।। ऊँ जय अम्बे गौरी. 

कंचन थाल विराजत, अगर कपूर बाती। श्री माल केतु में राजत, कोटि रतन ज्योती ।। ऊँ जय अम्बे गौरी. 

माँ अम्बे की आरती, जो कोई नित गावे । कहत शिवानन्द स्वामी, सुख सम्पति पावे ।। ऊँ जय अम्बे गौरी.

Jyotishagya Pt. Vijay Bharti
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Expert in Krishna Murti Paddhati & Traditional Astrology